काल कोठरी -----10 वा धारावाहिक ------------ जो जानते हो, उसकी रजा मे चुप ही बेहतर उपाय है। कभी कभी हम आप से ही बाते ढेर सारी कर जाते है। जिसको कोई भी सुन नहीं सकता।तुम जो भी सोचते हो, वो अक्सर एक ढोंग भी हो सकता है। कुछ जिस के बारे मे सोचते हो, वो कभी दिल से घटक होने वाले आसार नहीं भी होते। हम कितना सोचते है, बेहद से जयादा। मतलब तुम उतना ही रखो जितना कोई रखे। ये सिनसिला आख़र तक यूँ ही पीछा करता रहता है। पीछा करते करते तुम भटक सकते हो। वो लड़कियां आज कल की रिपोटर