️ एक हफ्ते बाद – शाम 5 बजेबादल छाए थे। कॉलेज कैंपस की सड़कें भीगने लगी थीं।सान्या लाइब्रेरी से निकल रही थी, हाथ में कुछ किताबें थीं। तभी हल्की बारिश शुरू हो गई।वो तेज़ी से चलने लगी… लेकिन तभी पीछे से एक आवाज़ आई:"बारिश तो बहाना है, असली मंज़िल तो तुम हो।"वो पलटती है… आरव छतरी लिए खड़ा था।सान्या मुस्कुराई:> "तू नहीं सुधरेगा न?"आरव हँसते हुए:> "मैं सुधर गया हूँ... तेरे प्यार में।"वो दोनों छतरी के नीचे एक साथ चलते हैं… और बारिश उनके चारों ओर धीमी धुन बजा रही थी।--- अगला सीन – स्कूटी राइडसान्या को आरव घर छोड़ने