इश्क़ की उन सुर्ख राहों पर - 3

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रात के 2 बज चुके थे। आरव की आंखों से नींद कोसों दूर थी। मोबाइल हाथ में था, और स्क्रीन पर सना की वही आखिरी लाइन चमक रही थी।वो लिखना चाहता था — “ठीक है, मैं इंतज़ार करूंगा।”पर कुछ रोक रहा था|दर्द? अहंकार? या टूटने का डर? Kabir – Dosti Wala Aainaअगले दिन, कॉलेज कैंटीन में कबीर सामने बैठा था — वही पुराना दोस्त, जो हर मोड़ पर साथ था।“तो तू बोल नहीं रहा उससे?” कबीर ने चाय का घूंट लेते हुए पूछा।"नहीं," आरव ने कहा। "Usne mujhe छुपाया, और मैं अब खुद को खो बैठा हूं।"कबीर मुस्कराया।"तू प्यार में