एपिसोड 1 – दीवारों की आवाज़ रेगिस्तान में सब कुछ ठहरा हुआ लगता है — रेत, हवा, वक़्त। पर ऐत-बेनहद्दू की दीवारों में कुछ ऐसा था जो सांस लेता था… और पुकारता भी। कियारा, एक युवा भारतीय इतिहास शोधकर्ता, जब मोरक्को की लाल ज़मीन पर उतरी, तो उसका उद्देश्य सिर्फ एक था — अपनी दादी की आखिरी बड़बड़ाहट को समझना। “बेनहद्दू... उसे कहना, मैं अब भी इंतज़ार कर रही हूँ…”ये शब्द उसकी दादी के आखिरी थे। अब वह गाँव की गलियों में, दीवारों को छूकर, छाया और धूप के बीच उस नाम को ढूंढ रही थी… जो उसके अपने नाम