रेलवे स्टेशन पर रात का सन्नाटा था। मेरी ट्रेन अभी तक नहीं आई थी, और मैं अकेला प्लेटफॉर्म पर खड़ा था। घड़ी में रात के 11 बज रहे थे और हल्की ठंड थी। स्टेशन पर कुछ ही लोग थे, जो अपनी-अपनी दुनिया में खोए हुए थे। मुझे पता नहीं क्यों, इस सन्नाटे में कुछ अजीब-सा लग रहा था। यह एक ऐसा अहसास था, जिसे मैं पहले कभी महसूस नहीं किया था। अचानक, मेरी नज़र एक पुरानी बेंच पर बैठे एक बूढ़े आदमी पर पड़ी। वह बिलकुल शांत था, और उसकी आँखें कहीं दूर, खालीपन में देख रही थीं। मुझे उस