बारिश की वो शाम कुछ अलग थी। सड़कें गीली थीं, हवाएं भीग रही थीं, और शहर की भीड़ में एक लड़की अपनी ही दुनिया में खोई चली जा रही थी। वो लड़की थी — आयरा।कॉलेज की नौकरी से थकी-हारी, उसके चेहरे पर न मुस्कान थी, न शिकन। बस एक अजीब सा सूनापन था। घर लौटते वक़्त वो रोज़ एक पुराने कैफे के सामने से गुज़रती थी, लेकिन उस दिन उसके क़दम अपने आप रुक गए।कैफ़े की खिड़की से किसी ने उसे देखा — अयान, एक फोटोग्राफर, जिसकी आंखें किसी खोई हुई तस्वीर की तलाश में थीं।> “तुम रोज़ यहां से