बारिश की बूँदें दिल्ली के कनॉट प्लेस की सड़कों पर बेरहमी से गिर रही थीं। रात के १२:१५ बज रहे थे, और सर्द हवा में एक अजीब-सी खामोशी पसरी थी। शहर की चमकदार लाइट्स बारिश के पानी में डूब रही थीं, और कनॉट प्लेस का आउटर सर्कल, जो दिन में चहल-पहल से भरा रहता था, अब अंधेरे में डूबा हुआ था। एक बंद दुकान के सामने, एक गंदा सा प्लास्टिक का थैला बारिश के पानी में तैर रहा था। थैला हल्का-सा हिल रहा था, जैसे उसमें कोई साँस ले रहा हो। लेकिन वहाँ साँसें नहीं थीं। वहाँ सिर्फ़ मौत थी।सीबीआई