क्यों आया था तू?

क्यों आया था तू?(एक अधूरी मोहब्बत की पूरी चीख)कहते हैं, कुछ सवालों के जवाब नहीं मिलते,और कुछ जवाबों की ज़रूरत भी नहीं पड़ती।पर आज, इस खामोश रात में,जब सितारे भी चुपके से ताक रहे हैं,मैं फिर से पूछ लेती हूँ —“क्यों आया था तू?”वो पहली मुलाकातवो दिन, जब तू पहली बार मेरे सामने आया था,जैसे समय ने अपने कदम रोक लिए थे।तेरी वो नज़र,जैसे सुबह की पहली किरण,जो सर्द रात की ठंडक को गर्माहट दे देती है।तूने कुछ नहीं कहा,पर तेरी आँखों ने वो सब कह दिया,जो शब्दों में कभी बयां नहीं हो सकता।वो पल, जब तूने मुस्कुराकर मेरा नाम