कभी यादो मे आओ - 6

  • 81

कभी यादों में आओ ️ ( मुक्ति ) ***********रात का समय था सुरज अपनी किरणें समेटकर जा चुका था आराम करने और चाँद मां का आंचल छोड़ अपनी चांदनी से सबका मन मोहने के लिए आकाश में विराजमान हो चूका था ।इसी चांदनी रात में मुम्बई के एक मोल में हार्दिक कुछ समान लेने आया था । वो अपने समान ले ही रहा था कि किसी से टकरा गया । हाथ में पकड़ा सारा समान नीचे गिर चुका था और उस से हुई आवाज के कारण सबका ध्यान हार्दिक कि तरफ आकर्षित भी हो चुका था । वो नीचे बैठकर अपना समान