भाग- 5 जिसे ज़िंदा कहा गया… वो मरा हुआ था रचना - बाबुल हक़ अंसारी – आर्यन को मिलता है एक नामआर्यन अब अयान को नहीं,एक ख़ामोशी को खोज रहा था।उस शाम वह उसी रेलवे स्टेशन पर पहुँचा जहाँ अयान और रिया की आख़िरी मुलाक़ात हुई थी।वहाँ एक बूढ़ा कुली मिला —उसे जैसे कुछ याद आया हो। “साहब, एक लड़का था... जिस रात वो हादसा