Chapter 14: जब आँखें खुलींअस्पताल की मशीनों की बीप अब तेज़ हो रही थी।Mr. Singh की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। कमरे में अंधेरा था, लेकिन उसकी आँखों में अब उजाले की ज़रूरत नहीं थी — उसके सीने में जो सवाल थे, वो हर रौशनी से तेज़ जल रहे थे।उसने अपने चारों ओर देखा — कोई अपना नहीं था।डॉक्टर पास आया, मुस्कुराया और बोला —“आप वापिस आ गए, Mr. Singh… दुनिया ने आपको मरा हुआ मान लिया था।”Singh ने आँखें बंद करते हुए धीमे से कहा —> “मैं मरा नहीं था… बस मोहब्बत में अधूरा हो गया था।”--- Siya की बेचैनीउधर Siya