अजय दौड़कर जाता हैं और नहाने से पहले जो पैंट उसने पहनी हुई थी उस पैंट के जेब मैं हाथ डालकर उस पत्थर को निकालता हैं। लेकिन अब वो पत्थर रात की तरह चमक नही रहा था। अजय अचंभित हो जाता हैं। थोड़ी देर पत्थर को निहारने के बाद अजय को लगता है कि यह बात छुपाई नहीं जा सकती किसी को तो बताके इसका तोड़ निकल होगा। तभी उसको अपने पुराने दोस्त अतुल की याद आती है। जो डॉक्टर होमी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में इंजीनियर था। अजय उसको कॉल लगाता हैं। अजय : पहचाना?अतुल : तुझे नहीं पहचानूंगा तो किसे पहचानूंगा! बड़े दिनों