भाग 2 _ राज के पर्देरिया की आंख खुली। उसने खुद को एक अस्पताल के बिस्तर पर पाया। उसकी मां, सुनीता, उसका हाथ थामे पास बैठी थी।रिया को धीरे-धीरे पिछली रात की डरावनी घटनाएं याद आने लगीं।सुनीता ने उसकी आंखों में झांकते हुए पूछा, “बेटा, तुम हमें अलमारी में बेहोश मिली थीं। क्या हुआ था तुम्हारे साथ?”इतना सुनते ही रिया कांप उठी। उसकी आवाज जैसे गले में ही अटक गई।मां ने आगे कहा, “अच्छा हुआ मैं और आयुष सुबह जल्दी घर आ गए थे, नहीं तो राम जाने क्या हो जाता!”रिया सोचने लगी – अगर मैं इन्हें सच्चाई बता दूं