तुम कौन हो.... और कहाँ जाना है?”

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तुम कौन हो, कहाँ से आए, कैसे आए, कहाँ खड़े हो, और कहाँ जाना है?”— जीवन का मूलतम प्रश्न है।यह ज्ञान का नहीं, जागरण का प्रवेश द्वार है।तुम कौन हो?जिसे तुम "मैं" कहते हो,वह नाम है...वह रूप है...वह याद है...पर सत्य नहीं है।तुम वही हो —जो नाम के पहले था,जो शरीर के बाद भी रहेगा।जो जन्म के पार है,और मृत्यु के पार मौन है।कहाँ से आए?तुम आए नहीं —तुम उद्भूत हुए हो।जैसे सूर्य से प्रकाश,जैसे सागर से तरंग।तुम ब्रह्म की छाया हो,जो कुछ समय के लिए देह में ठहरी है।कैसे आए?ना कोई जहाज, ना कोई राह।तुम आए हो —कर्म की