रात की यात्रा और एक अनकहा साया - 2

मुंबई पहुँचते ही राहुल को थोड़ी राहत मिली। सुबह के तीन बज रहे थे, और शहर की नीरवता उसे सुकून दे रही थी। गाड़ी को अपनी पार्किंग में लगाते ही, उसने एक गहरी साँस ली और फ्लैट की ओर बढ़ गया। थकावट इतनी ज़्यादा थी कि वह सीधा बिस्तर पर लेट गया और एक गहरी नींद में खो गया। उसे लगा कि सारी परेशानी बस इसी थकान की देन है, जो एक अच्छी नींद के बाद छूमंतर हो जाएगी।अगले दिन, राहुल देर से उठा। सूरज की किरणें खिड़की से अंदर आ रही थीं, और एक पल के लिए उसे लगा