भूल-83 मुफ्तखोर वामपंथी—‘फिबरल’ (फर्जी उदारवादी) वर्ग का उदय “कई अध्ययन अकादमिक क्षेत्र में राजनीतिक वामपंथ के प्रभुत्व का प्रमाण दे चुके हैं; लेकिन अभी भी कुछ असाधारण क्षेत्र, जिनमें आप तथ्यों और नतीजों को झुठला नहीं सकते, ऐसे हैं, जहाँ उनका इतना अधिक प्रभुत्व नहीं है; जैसे—विज्ञान, इंजीनियरिंग, गणित और एथलेटिक्स। इसके बिल्कुल उलट, शिक्षा से जुड़ा कोई भी क्षेत्र वामपंथियों से इतना अधिक प्रभावित नहीं है, जितना मानविकी, जहाँ प्रचुरता से आनेवाली कल्पनाओं को झुठलाने के लिए तथ्य नहीं हैं। वामपंथी शिक्षा के क्षेत्र के बाहर भी अपने लिए ऐसे तथ्य-मुक्त क्षेत्रों की तलाश में हैं।” —थॉमस सोवेल भारत में आपको खुद को एक