वह कोन था ? - 1

             स्थान: राजगढ़ गाँव की सीमा पर, वीरान हवेलीसमय: रात 2:10 बजेबिजली की तेज़ चमक ने आसमान को चीर दिया। हवेली की टूटी दीवारें, पुरानी खिड़कियाँ और जंग लगे गेट एक पल को रोशनी में नहाए। हवा की सिसकारी भीतर तक घुस आई। बांस के पेड़ टकरा रहे थे और उनकी टहनियों की खड़खड़ाहट से रात और डरावनी लग रही थी।राजगढ़ गाँव की वो हवेली अब वीरान थी — या शायद ऐसा सिर्फ लोग मानते थे।भीतर एक कमरा था, जहाँ एक धुंधली रौशनी जल रही थी। उस कमरे के बीचोंबीच खून के छींटे बिखरे हुए