काल कोठरी - 9

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काल कोठरी ----------(9)जिंदगी एक सड़क की तरा है... बस चलते जाओ..चलते जाओ मंज़िले ही है रास्तो मे.... आपना है तो कभी मत ठहरो... कयो वो तुम्हे नजदीकियो से जानता है, करीबी से जानता है। ठहरना है तो अजनबी के पास ठहर जाना।आपना बना तो फिर उसे भी मत छोड़ देना ---- पता कयो,वो तुमाहरा कभी बुरा नहीं कर सकता। सोचो कयो --- बस यही बात ज़ब पले पड़े गी, तो वक़्त निकल चूका होगा।                    केस घोसले के हाथ से निकल कर सीबीआई को दें दिया गया।  हेड ब्राँच बम्बे के इलावा दिल्ली भी थी। घोसले की रिटायमेंट पार्टी --------------जिसमे हर तरा की