कलिया मसान

सन 1856 अवध राज्य की सीमा पर एक छोटा-सा गाँव था — बसरिया. चारों ओर घना जंगल, बीच में एक पीपल का पुराना पेड़ और उस पेड़ के पीछे… श्मशान घाट। गाँव के बुजुर्गों ने हमेशा चेतावनी दी थी — “सूरज डूबने से पहले घर लौट आना, वरना ‘कालिया मसान’ की परछाईं साथ चली आएगी।”कालिया मसान... एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही बच्चों के चेहरे पीले पड़ जाते थे और बूढ़ों की आँखों में डर की धुंध छा जाती थी। कहा जाता था, वह एक चांडाल था जो सदियों पहले उस श्मशान में लाशें जलाया करता था, लेकिन एक रात