प्रदार्थ और चेतना - सुख का अंतिम रहस्य

— 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲   1. पश्चिम कहता है — प्रदार्थ ही जीवन है। भारत कहता है — प्रदार्थ जीवन का साधन है, लक्ष्य नहीं। जब साधन को लक्ष्य बना लिया जाता है, जीवन खोखला हो जाता है। 2. प्रदार्थ से भूख मिटती है — आत्मा नहीं भरती। रोटी पेट को शांत करती है, प्रेम ही आत्मा को। 3. जो मनुष्य रोटी को ईश्वर समझ ले, वह भूख से कभी मुक्त नहीं होता। शरीर की भूख सीमित है, मन की भूख अनंत है — चेतना ही पूर्णता है।   4. धन सुख का द्वार नहीं — सुख