प्रदार्थ और चेतना - सुख का अंतिम रहस्य

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तीन मानसिकताएँ: साधन भोगी, ढोंगी और सत्य 1. साधन भोगी: साधन भोगी वह व्यक्ति है जो अपने सुख-संतोष के लिए केवल भौतिक साधनों का पीछा करता है — धन, वस्त्र, वाहन, बंगला, और नाम-यश ही उसके जीवन के मापदंड होते हैं। उसका विश्वास होता है: "जितने अधिक साधन, उतना अधिक सुख।" यह सोच आधुनिक पश्चिमी दृष्टिकोण से उपजी है, जहाँ वस्तु ही जीवन का केंद्र बन जाती है। परंतु असल में यह सुख क्षणिक है। यह बाहर से मिलता है, और बाहर ही चला जाता है। भीतर की खाली जगह, आत्मिक रिक्तता, इन साधनों से कभी नहीं भरती। साधन जीव