माफ़िया की नज़र में – Part 3: "किसी की निगाह में""कुछ नज़रें नफ़रत से नहीं, खौफ़ से देखती हैं… और वो खौफ़ तुम्हें घेर ले, इससे पहले पहचान लो—कौन दुश्मन है और कौन रक्षक।"अहाना की आँखों में अब भी रायान की वो ठंडी, गहरी नज़रें बसी थीं।कैफेटेरिया में हुआ वाकया उसके ज़हन में बार-बार लौट रहा था। रायान की वो सख्त आवाज़, "छोड़ दो उसे," और फिर उसका वो अजीब सा सवाल—"तुम यहाँ अकेली रहती हो?"उसके लफ्ज़ों में चेतावनी थी, लेकिन आँखों में कुछ और—जैसे वो उसे किसी अनजाने खतरे से बचाना चाहता हो।या शायद वो खुद ही वो