तक्ष ने बदला अपना रुप....अब आगे..............तेज तेज हवाएं चलने से खिड़कियां जोरों से खड़खड़ की आवाज करने लगी जिससे सब सहम जाते हैं.....अघोरी बाबा अपने क्रिया को आगे बढ़ाते हैं.... उबांक फिर से फड़फड़ा शुरू कर देता है लेकिन वो घेरे से बाहर नहीं निकल पा रहा था......उधर तक्ष को अपने अंदर आग जैसी जलन महसूस होने लगती है जिससे वो अपने पास रखें पानी के जग से पानी को अपने ऊपर उड़ेल लेता है लेकिन उसकी बैचेनी और बढ़ने लगती है,,, तक्ष गुस्से में चिल्लाता है....." ये मुझे क्या हो रहा है कहीं उबांक को किसी को किसी शक्ति