धूमकेतू - 1

  • 438
  • 135

अंधेरे का समय था।रामपुर नाम का एक छोटा-सा गांव गहरी नींद में डूबा हुआ था। मगर अजय अब भी जाग रहा था। किसी चीज़ पर ध्यान लगाकर काम कर रहा था। और करता भी क्यों नहीं — वह पेशे से एक इंजीनियर था, बस अभी तक नौकरी नहीं मिली थी।इसी बीच, उसके घर के बाहर एक तेज़ धमाका होता है। चौक कर अजय बाहर निकलता है। सामने वाले खेत में आग लगी होती है।अजय घबराकर अंदर भागता है और मां, पिताजी और बहन गीता को उठाता है। फिर वह दौड़कर कुएं की मोटर चालू करता है और पाइप से आग