"अगर किसी की असमाप्त मुंडन संस्कार की आत्मा भटकती रहे, तो वह 'मुंजा' बन जाती है... अधूरी, प्यास से भरी और प्रतिशोध की आग में जलती हुई आत्मा।"ये बात गांव के बुजुर्ग अकसर चूल्हे के पास बैठकर सुनाते थे। लोग इसे डराने की कहानी मानते रहे... जब तक गांव के हर घर में बच्चे सोते वक्त चीखने न लगे। जब तक आधी रात को पीपल के पेड़ पर एक नंगी, झुलसी हुई आकृति हँसती हुई न दिखाई दी हो।और तब समझ आया कि मुन्जा सिर्फ एक कहानी नहीं थी... वो एक सच्चाई थी खून से लिखी गई।ब्रिटिश राज से कुछ