हुक्म और हसरत - 3

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हुक्म और हसरत   अध्याय 3   #Arsia (सिया+अर्जुन)       सिया बालकनी में बैठी अख़बार पढ़ रही थी, जब अर्जुन सामने आया।       “आज आपको फंक्शन में जाना है। मेरी टीम आपकी पूरी सुरक्षा की योजना बना चुकी है।”     “मैं कोई बम नहीं हूँ, जिसे डिफ्यूज़ करना पड़े,”   सिया ने आंखें तरेरते हुए कहा।   “आप भावी रानी हैं। और ताज गिरने पर साज़िशें खड़ी होती हैं।” अर्जुन की आवाज़ सधी हुई थी।     काव्या दोनों के बीच आई,   “आप दोनों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महल की दीवारें बोलने