कर्ण पिशाचिनी

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"अगर तुम्हें रात में कोई धीमे स्वर में तुम्हारा नाम पुकारे, तो पलटकर मत देखना... वो शायद 'वो' हो सकती है। कर्ण पिशाचिनी... जो आवाज़ों से खेलती है, और आत्माओं से..."शहर से दूर, पहाड़ों के नीचे एक पुराना गांव था — द्रोणपुर। लोग कहते थे कि वो गांव सूरज ढलते ही साँस लेना छोड़ देता था। वहाँ की हवाएं भी अजीब थीं — जैसे फुसफुसाकर कुछ कह रही हों। गांव के बीचों-बीच एक टूटा-फूटा कुआं था, जिसके पास कोई नहीं जाता था। कहते हैं, उस कुएं से एक औरत की आवाज़ आती है, जो कान में धीरे से कुछ कहती