कमरा अचानक अंधेरे में डूब गया। दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया और बाहर से ताले की आवाज़ आई। अनन्या ने घबराकर विक्रम का हाथ पकड़ा।"ये क्या हो रहा है विक्रम? कोई हमें यहाँ बंद कर रहा है!"विक्रम ने दीवार पर हाथ फेरते हुए कहा –"यह हवेली सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं है अनन्या… यह जिंदा है। यहाँ हर कोना, हर दीवार हमें देख रही है।"अनन्या काँप गई। तभी कमरे के कोने में रखा पुराना आईना चमकने लगा। आईने में धुंधली-सी परछाई उभर आई – सरोज की।"माँ…!" अनन्या चीख पड़ी।---सरोज की चेतावनीआईने के भीतर से धीमी, दर्दभरी आवाज़ आई –"अनन्या… भागो यहाँ