रात का अँधेरा और हवेली में गूँजती गोली की आवाज़ – सब कुछ एक पल में थम गया। धुआँ छँटते ही अनन्या ने देखा – उसके पिता राघव जमीन पर पड़े थे, लेकिन उनकी साँसें अब भी चल रही थीं।पुलिस दौड़कर उनके पास पहुँची, हथकड़ी लगाई और उन्हें उठाने लगी। लेकिन अनन्या का ध्यान अब भी एक सवाल पर अटका था – पुलिस को यहाँ बुलाया किसने?---रहस्यमयी मददगारअनन्या ने चारों ओर नज़र दौड़ाई। हवेली का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला और अंदर आया – विक्रम, अनन्या का मंगेतर।"अनन्या, मैं समय पर पहुँच गया। मैंने ही पुलिस को खबर दी थी," विक्रम ने