गाँव के पुराने चौक पर शाम की आरती खत्म हो चुकी थी। हवा में अब भी अगरबत्ती की खुशबू थी, लेकिन अनन्या के दिल में डर और सवालों का तूफान मचा था। उसकी आँखों के सामने बार-बार वही मंजर घूम जाता – उसकी माँ सरोज का खून से लथपथ चेहरा और माथे पर लगा हुआ वो खून का टीका।उस रात के बाद से अनन्या की जिंदगी बदल गई थी। लोग कहते थे कि हवेली में आत्मा भटकती है, लेकिन अनन्या को लगता था कि ये सब किसी इंसान का खेल है। उसकी माँ की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि किसी