यात्रा संस्मरण

  • 297
  • 78

-विश्व इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने के सपने सजोये था भारत अपने प्रिय एवं युवा प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी जी के इक्कीसवीं सदी के आवाहन के अंतर्नाद से अभिभूत इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने को उद्धत था। आशा विश्वास संभावनाओं संवेदनाओं का महत्वपूर्ण दौर वैश्विक स्तर एवं भारत प्रभा प्रवाह संध्या निशा प्रभावित था।उन्हीं दिनों मेरी नियुक्ति उत्तर प्रदेश पूर्वांचल के बलिया जनपद में थी मुझे अपने बेटों को सैनिक स्कूल में पढ़ाने का बहुत शौक था। बड़ा बेटा कक्षा पांच उत्तीर्ण करने के साथ ही कक्षा छः में प्रवेश हेतु केंद्रीय सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा दिया और प्रवेश