भोले के द्वार तक

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 "भोले के द्वार तक – एक यात्रा केदारनाथ की"भाग 1: सफर की शुरुआतहर किसी की ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब वो खुद से मिलने निकल पड़ता है। मेरे लिए वो मोड़ था – केदारनाथ यात्रा। जून की वो सुबह थी, जब मैं अपने छोटे से बैग और दिल में ढेर सारी उम्मीदें लेकर घर से निकली। मेरे साथ थी मेरी सबसे प्यारी दोस्त काव्या।हमने दिल्ली से हरिद्वार तक ट्रेन ली, और फिर वहां से ऋषिकेश। ऋषिकेश पहुंचते ही गंगा आरती में डूब जाना, जैसे आत्मा को पहली सांस मिली हो।अगली सुबह हम निकल पड़े सोनप्रयाग की ओर,