तुम्हारे नाम अब भी धड़कता है [भाग - कॉलेज का पहला दिन]मेहर और रुहानिका कॉलेज पहुंच चुके थे।सुरेश जी – "ठीक है बेटा, अपना ख्याल रखना।"रुहानिका – "जी पापा।"सुरेश जी – "और मेहर, तू भी ख्याल रखना और किसी से लड़ना-झगड़ना नहीं, समझी?"मेहर बच्चों की तरह मुंह बनाकर –"मैं कहां लड़ती हूं! ध्यान से देखिए, कितनी मासूम हूं मैं पापा।"रुहानिका हँसकर – "अच्छा जी, मैं कहां लड़ती हूं? याद दिलाऊं तुझे?"मेहर मुंह बिचकाकर बोली – "दी..."सुरेश जी – "अच्छा अच्छा, नहीं लड़ते। बस अब जाओ, वरना लेट हो जाओगी।"दोनों, रुहानिका और मेहर मुस्कराकर सुरेश जी को गले लगती हैं