कर्मफल

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कर्मफल दिनेश श्रीवास्तव साहित्यिक उपनाम गोरखपुरी जी द्वारा रचित एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी उतपत्ति ही धर्म समाज एव वर्तमान के मध्य अंतर कहे या विषमताएं दोनों ही कर्म फल की उत्तपत्ति के भाव के कारण कारक एव आधार है! सनातन के लगभग सभी ग्रंथो में कलयुग के विकास एव सामाजिक आचरण का वर्णन किया गया है जो वर्तमान मे वसत्य ही परिलक्षित हो रही है! सनातन ग्रंथो में सामाजिक संबंधों एव उसके मर्म मर्यादा को प्रस्तुत करता है जो किसी काल मे समाज निर्माणएवं राष्ट्र निर्माण के साथ साथ सामयिक महत्व को निर्धारित निरूपित करता है यहां उदाहरण न देते