छाया: भ्रम या जाल?भाग 2छाया के अपार्टमेंट में लगातार हो रही अजीबोगरीब 'व्यवस्था' ने उसकी रातों की नींद और दिन का चैन पूरी तरह से छीन लिया था. जो घर कभी उसकी शांति और सुरक्षा का ठिकाना था, वह अब एक भयानक, अनसुलझी पहेली बन गया था. हर सुबह, उसे अपने कमरे में बिखरी हुई चीज़ों को करीने से रखा हुआ देखकर उसके भीतर एक ठंडी सिहरन दौड़ जाती थी. किताबें अलमारी में सही क्रम में, कपड़े इस्त्री करके टंगे हुए, यहाँ तक कि उसके तकिए के नीचे लापरवाही से रखा हुआ उसका डायरी-पेन भी अपनी 'सही' जगह पर मेज़