--- अध्याय 3: फ़ासलों का इम्तिहान---“मोहब्बत सिर्फ पास रहने से नहीं निभती,कभी-कभी दूर रहकर भी दिल के तार जुड़ जाते हैं। लेकिन…”“…अगर खामोशी लंबी हो जाए, तो मोहब्बत भी घुटने लगती है।”---1. बदले हुए पलकॉलेज फेस्ट के बाद ज़िंदगी थोड़ी बदल गई थी।ज़ारिन जब भी क्लास में बैठती, उसकी नज़रें अनजाने में आरिज़ को ढूँढ लेतीं।लेकिन अब वो दूरी बना रहा था। न तबले की थाप सुनाई देती, न वो मुस्कुराहट मिलती जिसे ज़ारिन अब पहचानने लगी थी।> “क्या मैं कुछ गलत समझी?”ज़ारिन खुद से सवाल करती,“या ये फासला भी कोई इम्तिहान है?”---2. एक नई दस्तकवही दिनों में कॉलेज में