नीले कांच की लड़की

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शिमला की सर्दियों में पहाड़ियों के बीच छिपे उस आर्ट कॉलेज की वादियाँ जैसे खुद ही रंग सीख रही थीं। पाइन के पेड़ बर्फ ओढ़े खड़े थे, और हवा में ताज़गी के साथ एक अजीब सी वीरानी थी। कॉलेज का कैंपस कुछ वैसा ही था — शांत, पर भीतर कुछ खदबदाता हुआ।इन्हीं दिनों में दिल्ली से आया एक नया छात्र — अनिरुद्ध मेहरा, अपने ख्वाबों की पोटली लिए। वो सिर्फ पेंटिंग नहीं बनाता था, वो हर चेहरे में कहानी ढूंढता था, और हर रंग में कोई अधूरी चीख।पहले ही दिन, जब वो अपने स्केचबुक और ब्रश लेकर क्लास में दाखिल