एक तलवार और साफ़ा सामने रखे वाणी ने घरचोलु ओढ़ा हुआ था। रूप और गुण में कोई भी खामी न निकले, यह तो पूरे गाँव को मालूम था। आज वाणी की सुंदरता से स्वर्ग की अप्सराएँ भी ईर्ष्या करती हों, ऐसा मनमोहक वातावरण बनने लगा था। एक समय वाणी के विवाह का प्रस्ताव लेकर झंगीमल स्वयं उसके पिता के पास आया था। लेकिन उन्होंने वह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उस समय मदनपाल और सुर्यांश वाणी के पिता आचार्य अधी के सेवक बनकर छुपे रूप में रहते थे। झंगीमल के राज्य के सभी बलवान लोगों के सामने उन्होंने मल युद्ध खेले, तलवारबाज़ी की,