“जागो जागो राजकुमारीजी।” पारो सुबह-सुबह संध्या के पास आकर बोली। राजकुमारी बंद आँखें रखकर ही पारो की आवाज़ पहचानकर बोली, “क्यों? क्या हुआ कि इतनी सुबह-सुबह आ गई?” “राजकुमारीजी, हमें बारात लेकर जाना है।” “बारात... किसकी?” अचानक आँखें खोलते हुए संध्या बोली। “राजकुमार की;” कहते-कहते पारो रुक गई और कहा, “नहीं बारात तो मेरे भाई की जाएगी, राजकुमार तो पहले ही शादी कर चुके हैं।” सुबह के समय हाथ में दीए की रौशनी लिए खड़ी पारो को आश्चर्य से संध्या देखने लगी। फिर अचानक उठकर बोली, “भाई ने शादी कर ली है?” अचानक उठी हुई संध्या को देखकर पारो घबराकर पीछे हटती हुई बोली, “हाँ राजकुमारीजी,