Part 18: अज्ञान द्वार – अंतिम सामनासाधु की बातों ने अर्णव की आत्मा हिला दी थी।“त्रैत्य सिर्फ मेरा शत्रु नहीं… वो मुझमें ही है…!”उसके कदम भारी हो चुके थे। लेकिन अब पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था। अगला और अंतिम द्वार था — "अज्ञान द्वार", जहां वो अपनी पहचान, अपनी नियति और अपने अंदर के राक्षस से सामना करेगा। द्वार का स्वरूपअज्ञान द्वार साधारण नहीं था। वो किसी पत्थर या काठ का बना हुआ नहीं था… बल्कि, अंधकार से बना हुआ एक खाली फ्रेम था। उसके भीतर कुछ भी नहीं दिख रहा था — बस शून्य।साधु (धीरे से): “अर्णव… जो तू देखेगा, वह तुझमें पहले से ही