Part 17: मोह द्वार – अपनों से लड़ाईअर्णव ने अब “भय द्वार” पार कर लिया था। वो अपने सबसे बड़े डर से लड़ा… और जीता। अब बारी थी — मोह द्वार की।साधु ने संकेत किया,"अब तुझे अपना दिल थाम कर जाना होगा। यहां तेरा शरीर नहीं, तेरा मन परखा जाएगा।" द्वार खुलता है…अर्णव जैसे ही द्वार के भीतर गया — सब कुछ बदल गया।ना कोई अंधकार था, ना सन्नाटा… बल्कि सामने एक खुशियों से भरा गाँव था। जहां बच्चे खेल रहे थे, महिलाएं हँस रही थीं, और लोग प्रेम से जी रहे थे।ये वही दृश्य था… जो कभी अर्णव का बचपन था। वही माँ का चेहरा… जो उसे बचपन