: मायावी नगरी — छल की भूमिधूलभरे रास्ते पर अर्णव अकेला चल रहा था। चारों ओर सन्नाटा था। आसमान पर काले बादल जमा थे। जैसे कुछ बहुत भयानक होने वाला हो।उसके कदम अब अग्निद्वार के पार आ चुके थे। अब वो जगह आ गई थी — जिसे सदियों से लोग "छल नगरी" कहते थे। जहाँ सत्य और झूठ की रेखा मिट चुकी थी।️ प्रवेश — एक मायावी नगर काअर्णव ने जैसे ही उस भूमि में कदम रखा, एक अजीब-सी ठंडी हवा उसके शरीर से टकराई। फिज़ा में सुगंध थी — पर उसमें एक डर छुपा था। चारों ओर रंगीन हवेलियाँ, चकाचौंध रोशनी, और लोग हँसते