एक प्रतिष्ठित लेखक की कृति के विषय में कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने जैसा होगा। फिर से दोहरा रही हूँ कि कोई समीक्षक नही हूँ लेकिन पढ़कर बस मन के भाव जाहिर करने का इरादा जरूर है। आदरणीय मुकेश दुबे भैया कृत शिवना प्रकाशन से प्रकाशित "कड़ी धूप का सफर" जेठ की तपती दोपहरी में भी सावन की शीतल बयार का सुख दे गया। कल रात पढ़ने बैठी तो खत्म किये बिना न रख पाई। कलयुग में जहाँ हर रिश्ते की