मौसम सा कोई सफर

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कहानी उस लड़की की है, जो भीड़ में थी… मगर फिर भी अकेली। नाम था उसका “आव्या”।एक दिन उसने सबकुछ छोड़ने का फैसला किया — फोन, सोशल मीडिया, दोस्तों की आवाज़ें, रिश्तों के सवाल — सबकुछ।उसने एक अनजान स्टेशन से टिकट ली — “गंतव्य: अज्ञात”।Day 1 – एक अजनबी ट्रेनसुबह के धुंध में डूबी ट्रेन आई। खिड़की से बाहर एक बूढ़ा पेड़ दिखा, ऐसा लगा जैसे वो भी कुछ कहना चाहता है। किसी स्टेशन का नाम समझ नहीं आया… बस इतना लिखा था:“जहां दिल सुकून पाए।”Day 2 – वो गाँव जो नक्शे में नहीं थासुबह एक गाँव में आँख खुली