श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-दो - दशम अध्याय

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दशम अध्यायअरबी आक्रान्ताओं की वापसी उन्नीस वर्ष उपरांत मूसलाधार वर्षा हो रही थी। तलवार उठाये एक अरबी योद्धा एक शिवलिंग के निकट खड़ा उसे घूर रहा था। ये कोई और नहीं वही शिवलिंग था जिसे कालभोज ने इक्कीस वर्षों पूर्व अपने हाथों से बनाकर नागदा में स्थापित किया था। उस शिवलिंग को पकड़े अब भी दो ब्राह्मण चीखते हुए उस अरबी योद्धा से प्रार्थना कर रहे थे, “छोड़ दो इसे, ये हमारी धरोहर है। दूर हो जाओ अन्यथा महादेव का कोप बरसेगा तुमपे ?” किन्तु इससे अधिक वो दोनों ब्राह्मण कुछ कह ना पाये। उस अरबी योद्धा की चलाई तलवार ने उन दोनों