चतुर्थ अध्यायउम्म्यद में फूट दो दिन बाद संध्या काल को अपना अश्व दौड़ाते हुए कासिम ने अल्लाउद्दीन और अजीज मिर्जा के साथ देबल की सीमा में प्रवेश किया, तो सामने का दृश्य देख आश्चर्य से उसकी आँखें बड़ी हो गयीं। घायल अवस्था में सहस्त्रों अरबी योद्धा उसी सीमा की ओर बढ़ रहे थे। कोई लंगड़ा रहा था, कोई घायलों को कन्धों पर ढोते हुए ला रहा था। किसी का हाथ कटा था, तो किसी का पाँव। तभी कासिम की दृष्टि सलीम की ओर पड़ी, जो अपने सर पर पट्टी बांधे उसी की ओर बढ़ रहा था। उसकी सफ़ेद पट्टी पर अब