एक बार एक शहर के संत ने अपने शिष्य से कहा,"जाओ, ईश्वर को ढूंढकर लाओ।"शिष्य महीनों शहरों में घूमता रहा — मंदिर, मठ, आश्रम… पर उसे ईश्वर कहीं नहीं मिले।थका-हारा एक दिन वो एक छोटे से गाँव में जा पहुँचा।वहाँ उसने देखा —एक किसान खेत जोत रहा था,बगल में एक बूढ़ी दादी तुलसी में जल चढ़ा रही थी,और कुछ बच्चे मिट्टी में खेलते हुए ज़ोर से हँस रहे थे।शिष्य वहीं रुक गया।वो गाँव छोटा था, पर वहाँ कोई किसी से ऊँचा-नीचा नहीं बोलता था।लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, “भैया”, “बहन”, “बाबा”, “अम्मा” कहकर बुलाते थे।एक दिन सब मिलकर मंदिर