अन्वी

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अब अन्वी उसकी ज़िंदगी में नहीं है,मगर उसकी ज़िंदगी का हर हिस्सा अब भी अन्वी से जुड़ा है।उसने प्रेम को खोया नहीं था —बस एक और रूप में जीना सीख लिया था।क्योंकि कुछ लोग भले ही पास न हों,मगर उनकी रूहें हमारे साथ चलती हैं… हर सांस में, हर ख्वाब में।यह कोई आम प्रेम कहानी नहीं थी —यह त्याग का प्रेम था… वक़्त के आगे झुक गया, मगर झूठा कभी नहीं हुआ।उन दो रूहों के लिए, जो साथ नहीं रह सकीं…मगर कभी एक-दूसरे से जुदा भी नहीं हुईं।वो दोनों अब अलग थे —रिश्तों की भाषा में भी, और दुनिया की