कॉलेज के बाद, जैसे रोज़ का नियम हो गया था,दोनों पास की एक चाय की टपरी पर मिले।प्रकाश ने चाय का घूँट लेते हुए शरारत से कहा —"वैसे... क्लास से बाहर होने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?"राधिका ने उसे घूरते हुए कहा —"बहुत मज़ा आ रहा है न तुम्हें? ख़ुश हो गए?"प्रकाश हँस पड़ा —"अरे नहीं... बस सीख रहा हूँ कि जब जवाब ना आए, तो चेहरे के भाव कैसे बदलते हैं!"राधिका ने बनावटी गुस्से में उसकी ओर देखा, फिर मुस्कुराई और बोली —"एक दिन आएगा जब तुम्हें भी क्लास से बाहर करवा दूँगी..."दोनों की हँसी चाय की भाप के साथ