ऋषिकेश की वो यादगार सुबह

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कहानी: “ऋषिकेश की वो यादगार सुबह…”भाग 1: पहली झलकसुबह के चार बजे थे, जब ट्रेन हरिद्वार स्टेशन पर रुकी। ठंडी हवा के झोंकों ने मुझे जगा दिया। मैं riya , पहली बार अकेले सफर पर निकली थी… मंज़िल थी – ऋषिकेश।ऑटो वाले से कुछ मोलभाव के बाद मैं गंगा किनारे लक्ष्मण झूला के पास पहुंची। सूरज की किरणें धीरे-धीरे गंगा के पानी में उतर रही थीं, और हवा में एक अजीब-सी शांति थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारी थकान गंगा के एक छींटे से मिट जाएगी।भाग 2: गंगा आरती और एक अजनबी मुसाफिरशाम को त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती